दिसंबर 2024 को अलग-अलग ब्लाकों में 360 जोड़ों की मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत हुई शादी में फर्जीवाड़े के आरोप लगे थे। कई अपात्र जोड़ों को योजना में शामिल करने का आरोप लगा था। जिनका आय प्रमाणपत्र नहीं लगा या गलत लगाया गया, उन्हें भी पटल बाबू व एडीओ की मिलीभगत से पात्र बताकर योजना का लाभ दिया गया। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने फर्जीवाड़े की जांच परियोजना निदेशक (पीडी) पीएन दीक्षित से कराई तो फर्जीवाड़ा सामने आया। तीन लाभार्थियों के आवेदन पत्रों के सत्यापन में आय प्रमाण पत्र गलत मिले। पीडी ने रिपोर्ट बनाकर जिलाधिकारी को सौंपी है, अब दोषियों पर कार्रवाई होगी।
समाज कल्याण विभाग की ओर से संचालित सामूहिक विवाह योजना में हर लाभार्थी पर 51 हजार रुपये खर्च होते हैं। जिसमें 35 हजार नकद, 10 हजार के उपहार और छह हजार रुपये खानपान पर खर्च होते हैं। बीते दिसंबर में अलग-अलग ब्लॉकों में विभाग की ओर से 360 गरीब कन्याओं की शादी कराई गई थी। आयोजन के दौरान सोशल मीडिया पर फर्जीवाडे के वीडियो वायरल हुए, कई जोड़ों ऐसे मिले जिन्होंने फेरे तक नहीं लिए। बिना मांग भरे दुल्हनें दिखी थीं। फर्जीवाडे की शिकायत जिलाधिकारी से हुई तो उन्होंने जांच के आदेश परियोजना निदेशक को दिए थे। जांच अधिकारी ने पटल प्रभारी और एडीओ समाजकल्याण को जिम्मेदार मानते हुए दोषी बताया है। रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी है।
ये तीन मामले मिले गड़बड़
पीडी ने तीन लाभार्थियों के आवेदन पत्रों की जांच की जिसमें पाया कि पतारा ब्लॉक की अर्चना की शादी राजन से हुई थी, लेकिन आवेदन पत्र में पिता का आय प्रमाण पत्र नहीं लगाया गया। पतारा की काजल ने अपना आय प्रमाण पत्र लगाया, माता-पिता का नहीं। घाटमपुर ब्लॉक की रूबी देवी ने माता का पांच साल पुराना आय प्रमाण पत्र लगाया। अधूरे कागजात के बाद भी इनको योजना का लाभ दिया गया। जांच में तीनों लाभार्थी अपात्र मिले।
तीन आवेदन पत्र सत्यापन में अपात्र मिले हैं। सभी का आय प्रमाणपत्र गलत था। इसके बाद भी योजना का लाभ दिया गया है। पटल बाबू और एडीओ दोषी पाए गए हैं। रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी है