थाना क्षेत्र के बैदोली बाबू गांव में संदिग्ध परिस्थितियों में तीन बहनों की हालत गंभीर हुई। रविवार की सुबह प्रीत और पलक की मौत हो गई, जबकि छोटी बहन अप्सरा को परिजनों ने भटौली चौराहे पर स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां एक झोलाछाप उसका इलाज कर रहा था।
।थाना क्षेत्र के बैदोली बाबू गांव में संदिग्ध परिस्थितियों में तीन बहनों की हालत गंभीर हुई। रविवार की सुबह प्रीत और पलक की मौत हो गई, जबकि छोटी बहन अप्सरा को परिजनों ने भटौली चौराहे पर स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां एक झोलाछाप उसका इलाज कर रहा था। पुलिस की सख्ती की वजह से समय से अप्सरा को मेडिकल कॉलेज भिजवाया गया, वरना उसकी जान भी खतरे में पड़ जाती।
अप्सरा का इलाज मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। डॉक्टर ने उसे खतरे से बाहर बताया है। वहीं, मंगलवार को अप्सरा के पिता रोहित भी मेडिकल कॉलेज पहुंचे। उन्होंने बताया कि मैं भी बेटियों की मौत से हैरान हूं। बुधवार को उसकी मां लक्ष्मी भी बंगलूरू से गोरखपुर पहुंचेगी।
बांसगांव प्रतिनिधि के अनुसार, अप्सरा को भटौली चौराहे पर स्थित न्यू शिवा पाली क्लिनिक में भर्ती कराया गया था। वहां बिना किसी डॉक्टर की मौजूदगी में इलाज चल रहा था। अप्सरा के साथ उसकी दादी मौजूद थीं। तबीयत बिगड़ी तब अस्पताल संचालक ने हाथ खड़े किए।
डॉक्टर बोले, मेरे नाम का गलत बोर्ड लगाया गया है
न्यू शिवा पाली क्लिनिक के बोर्ड पर बच्चों के डॉ. डीके सिंह का नाम लिखा हुआ है। संचालक ब्यास मुनि से पूछा गया कि कौन से डाॅक्टर अप्सरा का इलाज कर रहे हैं, तो उन्होंने डीके सिंह का नाम बताया था। शहर के बेतियाहाता में अपनी क्लिनिक चलाने वाले डाॅ. डीके सिंह से जब बात हुई तो उन्होंने बताया कि मैं सिर्फ बेतियाहाता में बैठता हूं, इसके अलावा कहीं और मरीज नहीं देखने जाता हूं। भटौली बाजार में मेरे नाम का गलत बोर्ड लगाया गया है।
न्यू शिवा पाली क्लिनिक के बोर्ड पर बच्चों के डॉ. डीके सिंह का नाम लिखा हुआ है। संचालक ब्यास मुनि से पूछा गया कि कौन से डाॅक्टर अप्सरा का इलाज कर रहे हैं, तो उन्होंने डीके सिंह का नाम बताया था। शहर के बेतियाहाता में अपनी क्लिनिक चलाने वाले डाॅ. डीके सिंह से जब बात हुई तो उन्होंने बताया कि मैं सिर्फ बेतियाहाता में बैठता हूं, इसके अलावा कहीं और मरीज नहीं देखने जाता हूं। भटौली बाजार में मेरे नाम का गलत बोर्ड लगाया गया है।